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यह प्रतिलिपि भारतीय प्रतिलिप्याधिकार अधिनियम, 1957 के धारा 52 के अंतर्गत अनुमोदित है, जो कहता है:
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- (ध) किसी वास्तुकृति का रंगचित्र, रेखाचित्र, उत्कीर्णन या फोटोग्राफ बनाना या प्रकाशित करना अथवा किसी वास्तुकृति का संप्रदर्शन करना;
- (न) किसी मूर्ति का धारा 2 के खंड (ग) के उपखंड (iii) ["कलात्मक शिल्पकारिता की कोई अन्य कृति"] के अधीन आने वाली अन्य कलात्मक कृति का रंगचित्र, रेखाचित्र, उत्कीर्णन या फोटोग्राफ बनाना या प्रकाशित करना, यदि वह कृति किसी सार्वजनिक स्थान या परिसर मे, जिसमें जनता की पहुंच है, स्थायी रूप से स्थित है;
ध्यान रखें कि इसमें पेंटिंग, चित्र, या फ़ोटोग्राफ़ शामिल हैं, क्योंकि ये सन्दर्भित उपखंड (iii) के अंतर्गत नहीं आते हैं। ये उपखंड (i) के अंतर्गत आते हैं।
- (प) किसी चलचित्र फिल्म में—
- (i) किसी ऐसी कलात्मक कृति को सम्मिलित करना जो किसी सार्वजनिक स्थान या किसी अन्य परिसर में, जिनमें जनता की पहुंच है, स्थायी रूप से स्थित है
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भारतीय कानून को यूके के कानून पर आधारित है, और किसी ख़ास मामले के लिए कानून की अनुपलब्धता में यह मानना कि नियम समान होंगे। अधिक जानकारी के लिए यूनाइटेड किंग्डम की धारा देखें।
अधिक जानकारी के लिए COM:CRT/India#Freedom of panorama देखें।
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