{{Welcome|realName=|name=NisarJafari

-- Wikimedia Commons Welcome (talk) 07:04, 29 March 2023 (UTC)Reply

गिला क्यो ज़िंदगी का ज़िंदगी से होना था॥ इसको पाना था मगर उसको मुझे खोना था ...


सख्त कोशिश के बाद उसको कर ही लू हासिल। बाद इसके तो मुझे उम्र भर का रोना था ॥


हज़ार मैंने किए थे गुनाह हँस हँस के । उनको दामन से मुझे आज अभी धोना था ॥


क्यो था तन्हा ये बड़ा सोच लीआ फिर समझा। मय हु जिस गाम (1) तुझे भी तो वहा होना था ॥


ख्वाब मे दूर किए जा रहा है कोई तुझे। सच मय कहता हु बहुत ख्वाब वो डारौना था॥


तेरे आंचल मे वो सुकून दिखाई है दिया । चैन से एक बार जिसमे मुझे सोना था॥


अगली खुश हाल ज़िंदगी को बसाने के लिए। अश्क से सीचना था और गम को बोना था ॥


निसार खेल के दिल से जिगर को तोड़ भी दो । हँस के कहना न कभी दिल नहीं खिलौना था ॥

                                                                  निसार जाफरी